मनुष्य और मत्स्यकन्या (कहानी) / अभिज्ञात

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर ओर अथाह जल। समुद्र तट पर अम्बर रोज़ की तरह आया और उसने अपने आप को जल के हवाले कर दिया। देर तक पानी में तैरता रहा। आज वह दूसरे दिन की तुलना में कुछ अधिक देर तक जल में रहा और अधिक दूर तक जाकर लौटा। वह मछुआरे का बेटा है। जल ही उसका जीवन है। वह वहां अपने जीवन जल की पुकार पर नहीं जाता। वह जाता है अपने पिता को खोजने। इसी तरह उसके पिता एक दिन उसे समुद्र किनारे बिठाकर जल में गये थे। यह कहकर कि तुम पानी में मत आना मैं आता हूं। और देर तक पानी में रहूंगा फिर लौटूंगा। तुम्हें बस इन्तज़ार करना है। उस दिन वे पानी में गये थे मछली का शिकार करने अकेले। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। तबीयत कुछ सम्भली थी और चार साल के बेटे की उंगली पकड़े समुद्र तट पर आ गये थे। हाथ में एक खास तरह का कांटा लगा बांस था, जिससे वे सीधे एक बड़ी मछली को बेध कर उसका शिकार कर सकते थे। पिता गये तो फिर लौटे ही नहीं। उनकी लाश भी नहीं मिली। वह घंटों इन्तज़ार करता रहा। भूखे.. प्यासे। पिता ने कहा था पानी की ओर नहीं जाना तो नहीं गया. पर इन्तज़ार करने को कहा था सो वह कर रहा था। अंधेरा घिरने को आया तो वह घबराने लगा। समुद्र की लहरें आगे बढ़ने लगीं और वह पीछे हटता गया। फिर वह रोता बिलखता अपने घर लौटा तो मछुआरों की बस्ती में कोहराम मचा हुआ था। लोग उनका इन्तज़ार कर रहे थे। उसकी मां भी। बेटे को पाकर उसकी मां का इन्तज़ार ख़त्म हुआ किन्तु पति का उसे भी बरसों से इन्तज़ार रहा, वह अब भी मांग भरती है और सुहागिन महिलाओं के साथ तमाम तीज-त्योहार करती है। उसकी बस्ती में ऐसी और भी महिलाएं हैं जिनके पति समुद्र से नहीं लौटे और जिनके लौटने की आस बरस-दर-बरस कायम रही। पिता का इन्तज़ार करते बेटों में एक और का इज़ाफा हो गया और यह बेटा अम्बर अब भी समुद्र किनारे जाकर अपने पिता का इन्तज़ार करता। इन बरसों में फ़र्क बस इतना आया है कि वह पानी से दूर नहीं रहता। वह दूर-दूर समुद्र के जल में तैरता जाता है शायद कहीं आगे कुछ और आगे उसके पिता होंगे, जिन्हें वह सहसा पा लेगा। मां का अपने पति के ज़िन्दा बचे होने का यक़ीन उसके यक़ीन को और पुख़्ता करता। इस क्रम में सुनते हैं कि वह बड़े जीवट का मछुआरा बन गया था लेकिन उसकी मछलियां पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। बस उसे समुद्र का अथाह जल चुनौती देता लगता और वह उस चुनौती से जूझता रहता। लहरें जैसे उसे पुकारतीं और वह उनकी पुकार पर आगे और आगे जाता।


समुद्र तट पर भूला-भटका एक पर्यटक दल आया और वह यह जानकर प्रभावित हो गया कि अम्बर एक अच्छा तैराक है। और अम्बर की ज़िन्दगी बदल गयी। पर्यटक दल में तैराकी से जुड़ा एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का कोच था। उसे सहसा एक अच्छा तैराक मिल गया था। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतियोगिता के लिए अम्बर को तैयार करने का वह ख़्वाब पालने लगा। अम्बर उनके साथ दिल्ली गया और वह होने लगा जो उसका कोच चाहता था। उसे जब तैराकी की दुनिया में इंट्रोड्यूस किया गया तो वह अख़बारों की सुर्खियों में आ गया। उसके हुनर के किस्से ही नहीं छपे उसकी देहयष्टि को लेकर एक उदित अभिनेत्री की टिप्पणी भी आयी कि वह उस पर फिदा हो गयी है। अम्बर को दुनिया भर की तैराकी में एक नयी संभावना के तौर पर देखा जाने लगा। उसे नियम सिखाये गये जो तैराकी प्रतियोगिताओं में आवश्यक होते हैं। और जब वह प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगा तो जैसे सफलताएं उसका इन्तज़ार अरसे से कर रही थीं। अम्बर की कामयाबी पर कई मीडियावालों ने गजब की टिप्पणियां की। उससे ईर्ष्या करने वालों का कहना था कि उसके शरीर की बनावट कुछ ऐसी है कि वह सहजता से तैर पाता है जबकि उसके प्रशंसक लिखते कि वह रोजाना छह घंटे तैरने का अभ्यास करता है, वह भी बिना नागा किए। सप्ताह में कम से कम 60 मील तैरने के अभ्यास ने अम्बर को उस परफैक्शन लेवल तक पहुंचाया है। उसके बाजुओं का फैलाव 6 फीट 8 इंच है, जो उसकी लंबाई से 4 इंच ज्यादा है। इसके चलते वह 7 से 9 स्ट्रोक में 22 मीटर की दूरी तय कर लेता है। उसकी टांगे शक्तिशाली हैं और जब वह टर्न लेता है तो उसका शरीर 10 मीटर आगे धक्का खाता है, जबकि दूसरे तैराक मुश्किल से 7 मीटर खुद को धकेल पाते हैं। अम्बर का दिल एक मिनट में 30 लीटर खून को पंप कर मसल्स तक पहुंचाता है, जो किसी सामान्य तैराक के मुकाबले दोगुने से ज्यादा है। उसके शरीर से तीन गुना ज्यादा लैक्टिक एसिड निकलता है और इससे उसके मसल्स में जल्दी क्रैंप नहीं आ पाता। उनके पांव का साइज़ भी 14 है जो किसी चप्पू की माफिक हर वक्त उसकी मदद में लगा रहता है। आदि... आदि। वह अब मॉडलिंग की दुनिया के सबसे बड़े स्टार के तौर पर भी देखा जाने लगा था। कुछ लोग उसे अलबेट्रॉस समुद्री चिड़िया की उपमा देते जो देखने में तो सामान्य चिड़िया की तरह लगती है, लेकिन जब वह उडा़न भरने के लिए पंख पसारती है तो उसका करिश्मा सामने आता है। अम्बर पानी का अलबेट्रॉस है। उसकी तुलना सार्क मछली से भी की गयी। हालांकि अम्बर जल्दी ही जान गया कि ये वे उपमाएं हैं जो बासी हैं। मीडिया के बने बनाये शब्द हैं, जो हर नये सितारे के साथ जोड़ दिये जाते हैं। फिर भी वह खुश था।


और एक दिन उसने जो देखा वह हैरतअंगेज था। उसने मत्स्यकन्याओं के किस्से अपनी बस्ती में बचपन में ही सुन रखे थे, पर यक़ीन नहीं होता था लेकिन उसने सचमुच देखा था एक मत्स्य कन्या को। तट पर कोच थे और अन्य कई लोग। वह समुद्र में तैरने उतरा था और उसके सरकारी दल ने समय दर्ज़ किया था, कि वह कितनी देर तक पानी में रहा। यह समुद्री तैराकी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए किया जा रहा था। वह समुद्र की लहरों को काटते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा था उसके पीछे बोट भी था जो उसकी सतत निगरानी के लिए था किन्तु उसमें कुछ खराबी आ गयी और वह लौट पड़ा था। अम्बर ने कहा था कि वे लौट जायें वह थोड़ी देर बाद लौट आयेगा। और आगे जो उसने देखा था वह रोमांचकारी था। एक खूबसूरत मत्स्यकन्या थी वह। जैसा उसने सुना था। नीली आंखें, लम्बे बाल। बस नाभि प्रदेश से नीचे का हिस्सा मछली जैसा। उसने उसकी एक झलक देखी थी और फिर न जाने कहां गुम हो गयी थी। तट पर लौटकर अम्बर ने किसी को यह नहीं बताया कि उसने क्या देखा है। वह नहीं चाहता था कि लोगों के उपहास का केन्द्र बने। कौन यक़ीन करता उसकी बातों पर। --- यह ज़रूर हुआ कि उसके दिलो दिमाग पर अब मत्स्यकन्या छायी रहती और सपने में भी उसे देखता। वह अकेले में उसी खास तट पर जाता अपने को लहरों के हवाले कर देता और आगे-बढ़ता जाता जब तक कि वह मत्स्यकन्या उसे न दिख जाती। और फिर चल पड़ा यह सिलसिला। वह मत्स्यकन्या मनुष्य की तरह बातें भी करने लगी थी। वह मत्स्यकन्याओं के बारे में बताती। उसी ने अम्बर को बताया कि वह एकाएक उस दिन भी मत्स्यकन्याओं के दल के साथ थी किन्तु वह उस दिन उस दल के नियमों को तोड़कर आगे निकल आयी थी और एकएक अम्बर को देखा। उसकी सीमाएं तय थीं कि तट से एक खास दूरी बनाये रखी जाये, जिस पर सभी मत्स्यकन्याएं अमल करती हैं किन्तु वह किसी की बात जल्दी नहीं सुनती। उसे तट का आकर्षण खींचता है। उसने मनुष्यों के बारे में सुन रखा है और वह मनुष्य का साहचर्य चाहती है। कभी कभी तो वह अम्बर को गीत भी सुनाती। उसे आश्चर्य था कि वह उसकी भाषा कैसे जानती है तो मत्स्यकन्या ने उससे मत्स्यकन्याओं की कुछ विशेषताओं की चर्चा की जिसमें भाषा भी एक है। वे जिसके भी करीब जाती हैं उसकी भाषा उन्हें अपने आप आ जाती है। अम्बर को उसकी बातें आकर्षक लगतीं। हालांकि मत्स्यकन्या ने उसे बताया था कि मत्स्यकन्याएं मनुष्य के लिए ख़तरनाक़ हैं और उन्हें मार डालती हैं लेकिन वह उनके जैसी नहीं है। वह स्वयं मनुष्य जीवन जीना चाहती है और उनका लोक उसे हमेशा आकर्षित करता है। उसने आश्वासन दिया कि वह अपनी दुनिया के लोगों से अम्बर की चर्चा नहीं करेगी। अम्बर उससे अक्सर मिलने लगा था। छिप-छिप कर समुद्र की लहरों के बीच। वह बार-बार अपने मन की थाह लेता कि वह क्यों एक मत्स्यकन्या के आकर्षण में फंस रहा है किन्तु उसे उसका जवाब नहीं मिलता था। लेकिन उसके दिल में यह हूक ज़रूर उठती कि काश वह मत्स्यकन्या एक साधारण कन्या की सी ज़िन्दगी जी पाती। क्या इसका कोई रास्ता निकल सकता है? यह प्रश्न पहले वह अपने-आप से पूछता फिर डॉक्टरों से भी पूछने लगा था।