मनुष्य और मत्स्यकन्या / अभिज्ञात / पृष्ठ 2

Gadya Kosh से
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और एक दिन उसने जो देखा वह हैरतअंगेज था। उसने मत्स्यकन्याओं के किस्से अपनी बस्ती में बचपन में ही सुन रखे थे, पर यक़ीन नहीं होता था लेकिन उसने सचमुच देखा था एक मत्स्य कन्या को। तट पर कोच थे और अन्य कई लोग। वह समुद्र में तैरने उतरा था और उसके सरकारी दल ने समय दर्ज़ किया था, कि वह कितनी देर तक पानी में रहा। यह समुद्री तैराकी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए किया जा रहा था। वह समुद्र की लहरों को काटते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा था उसके पीछे बोट भी था जो उसकी सतत निगरानी के लिए था किन्तु उसमें कुछ खराबी आ गयी और वह लौट पड़ा था। अम्बर ने कहा था कि वे लौट जायें वह थोड़ी देर बाद लौट आयेगा। और आगे जो उसने देखा था वह रोमांचकारी था। एक खूबसूरत मत्स्यकन्या थी वह। जैसा उसने सुना था। नीली आंखें, लम्बे बाल। बस नाभि प्रदेश से नीचे का हिस्सा मछली जैसा। उसने उसकी एक झलक देखी थी और फिर न जाने कहां गुम हो गयी थी। तट पर लौटकर अम्बर ने किसी को यह नहीं बताया कि उसने क्या देखा है। वह नहीं चाहता था कि लोगों के उपहास का केन्द्र बने। कौन यक़ीन करता उसकी बातों पर। ---

यह ज़रूर हुआ कि उसके दिलो दिमाग पर अब मत्स्यकन्या छायी रहती और सपने में भी उसे देखता। वह अकेले में उसी खास तट पर जाता अपने को लहरों के हवाले कर देता और आगे-बढ़ता जाता जब तक कि वह मत्स्यकन्या उसे न दिख जाती। और फिर चल पड़ा यह सिलसिला। वह मत्स्यकन्या मनुष्य की तरह बातें भी करने लगी थी। वह मत्स्यकन्याओं के बारे में बताती। उसी ने अम्बर को बताया कि वह एकाएक उस दिन भी मत्स्यकन्याओं के दल के साथ थी किन्तु वह उस दिन उस दल के नियमों को तोड़कर आगे निकल आयी थी और एकएक अम्बर को देखा। उसकी सीमाएं तय थीं कि तट से एक खास दूरी बनाये रखी जाये, जिस पर सभी मत्स्यकन्याएं अमल करती हैं किन्तु वह किसी की बात जल्दी नहीं सुनती। उसे तट का आकर्षण खींचता है। उसने मनुष्यों के बारे में सुन रखा है और वह मनुष्य का साहचर्य चाहती है। कभी कभी तो वह अम्बर को गीत भी सुनाती। उसे आश्चर्य था कि वह उसकी भाषा कैसे जानती है तो मत्स्यकन्या ने उससे मत्स्यकन्याओं की कुछ विशेषताओं की चर्चा की जिसमें भाषा भी एक है। वे जिसके भी करीब जाती हैं उसकी भाषा उन्हें अपने आप आ जाती है। अम्बर को उसकी बातें आकर्षक लगतीं। हालांकि मत्स्यकन्या ने उसे बताया था कि मत्स्यकन्याएं मनुष्य के लिए ख़तरनाक़ हैं और उन्हें मार डालती हैं लेकिन वह उनके जैसी नहीं है। वह स्वयं मनुष्य जीवन जीना चाहती है और उनका लोक उसे हमेशा आकर्षित करता है। उसने आश्वासन दिया कि वह अपनी दुनिया के लोगों से अम्बर की चर्चा नहीं करेगी। अम्बर उससे अक्सर मिलने लगा था। छिप-छिप कर समुद्र की लहरों के बीच। वह बार-बार अपने मन की थाह लेता कि वह क्यों एक मत्स्यकन्या के आकर्षण में फंस रहा है किन्तु उसे उसका जवाब नहीं मिलता था। लेकिन उसके दिल में यह हूक ज़रूर उठती कि काश वह मत्स्यकन्या एक साधारण कन्या की सी ज़िन्दगी जी पाती। क्या इसका कोई रास्ता निकल सकता है? यह प्रश्न पहले वह अपने-आप से पूछता फिर डॉक्टरों से भी पूछने लगा था।


और एक दिन एक डॉक्टर आरसी वेल्स ने एक बड़ी पत्रिका में इंटरव्यू देकर यह इच्छा प्रकट की थी कि वह किसी मत्स्यकन्या का आपरेशन कर मनुष्य बनाने का स्वप्न साकार करना चाहते हैं। यह सम्भव हो सकता है। उन्होंने इस दिशा में काफी तैयारी की है। वह मानते हैं कि मत्स्यकन्याओं का अस्तित्व मुमकिन है। यदि मनुष्य बनना चाहे तो वह आपरेशन कर उसे सम्पूर्ण मनुष्य बना सकते हैं। उस डॉक्टर ने प्लास्टिक माइक्रो सर्जरी के क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण काम किये थे। इंटरव्यू पढ़कर अम्बर लैटिन अमरीका के ब्राजील गया और उस डॉक्टर से मिला। डॉक्टर से उसने मत्स्यकन्याओं के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि संभव है उनका अस्तित्व। कुछ वैज्ञानिक प्रमाण उनके बारे में मिले हैं और यदि इस तरह का कोई केस उसके पास आता है तो वह चुनौती को स्वीकार करेगा। डॉक्टर ने बताया कि जलपरी या मत्स्यकन्या का पहला क़िस्सा ईसा से हज़ार बरस पहले सीरिया की फोक लोर से आया। डेनमार्क के ओडेन्स के कथाकार हान्स क्रिश्चियन ऐंडर्सन की कल्पना ने भी मत्स्यकन्याओं के रूप व गुण में जादू भर दिया। वे 1805 में जन्मे थे। नेपाल, भूटान और अफगानिस्तान जैसे समंदर से कटे हुए देशों को छोड़ दिया जाये तो भारत सहित दुनिया के हर देश में मत्स्यकन्याओं के क़िस्से मौजूद हैं। ग्रीक कथाओं में इन्हें सायरन कहा गया है। हालांकि चिकित्सकों की प्रचलित धारणा रही है कि समंदर में नाविकों को महीनों औरतों से दूर रहने के कारण मत्स्यकन्याएं उनके दिमागी फितूर की उपज हैं लेकिन किस्सों पर हमेशा अविश्वास करना विज्ञान के हित में नहीं होता। फिर क्या था अम्बर के स्वप्नों को पंख मिल गये थे। डॉक्टरसे उसने आपरेशन के खर्च का अनुमान पूछा जो बहुत अधिक था लेकिन मुमकिन शब्द उसके स्वप्न में जुड़ गया था।