मनुष्य और मत्स्यकन्या / अभिज्ञात / पृष्ठ 3

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उसे अन्तर्राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता जीतनी थी और उसने जीती। उसे पैसे चाहिए थे। बेशुमार पैसे जिससे वह मत्स्यकन्या का आपरेशन करा सके। पैसे तो आये लेकिन वह काफी कम पड़ रहे थे। और इंटरव्यू में उसके मुंह से निकल गया कि वह एक मत्स्यकन्या को मनुष्य बनना चाहता है जिसके लिए पैसे का इन्तज़ाम करना चाहता है। उसका इंटरव्यू छपते ही कोहराम मच गया। कुछ मीडियावालों ने कहा कि अम्बर का दिमाग फिर गया है कुछ ने कहा कि वह सस्ती पब्लिस्टिटी पाने के हथकंडे अपना रहा है। लेकिन एक चिकित्सा जगत से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय कम्पनी डिगमा ने उसकी बात को गंभीरता से लिया और उसने मीडिया के जरिये ही यह आश्वस्त किया था कि वह मत्स्यकन्या को मनुष्य बनाने के सारे खर्च वहन करने को तैयार है। इस कार्य को मनुष्य और इतर प्राणियों के बीच पुल के निर्माण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी करार दिया गया।

जिसके समर्थन और विरोध में दुनिया बंटी हुई थी। मत्स्यकन्या का आपरेशन अमरीका में नहीं हो सकता था। अमरीकी प्रशासन ने 9 अगस्त 2001 के बाद भ्रूण से लिए स्टेम सेल पर शोध के लिए सरकारी पैसे के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी क्योंकि धार्मिक संगठन नैतिकता के आधार पर इसका विरोध करते हैं। अमरीकी कांग्रेस ने दो बार स्टेम सेल को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव पारित किए लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति ने इन्हें वीटो कर दिया। यूरोपीय संघ ने ये भी स्पष्ट किया है कि वैसे अनुसंधान को मदद नहीं दी जाएगी जिसमें मानव भ्रूण के नष्ट होने का ख़तरा हो। विरोध करने वालों में ऑस्ट्रिया, जर्मनी, इटली, लग्ज़मबर्ग, माल्टा और पोलैंड थे जबकि समर्थन में बेल्जियम, फ़िनलैंड, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन आगे आये थे। स्टेम कोशिकाओं से जुड़े अनुसंधान के विरोधियों का कहना है कि चूँकि ऐसी कोशिकाएँ मानव भ्रूण से ली जाती हैं जिसके पूर्ण मानव में विकसति होने की संभावनाएँ होती हैं, इसलिए इनका समर्थन नहीं किया जा सकता। रिसर्च कार्य में स्टेम कोशिकाओं आम तौर पर प्रजनन संबंधी उपचार के दौरान उपयोग में लाए गए मानव भ्रूण से ली जाती हैं, लेकिन उन कोशिकाओं के निकाले जाने के बाद भ्रूण नष्ट हो जाता है।

इधर, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए देश के गृहमंत्री ने भी अम्बर से इस विषय पर बातचीत की थी और इस सम्बंध में ब्यौरे मांगे। और आगे की रूपरेखा गृहमंत्री, अम्बर, डिगमा के प्रतिनिधि और डॉक्टर आरसी वेल्स के साथ तैयार कर ली गयी। वेल्स आपरेशन करने वाले थे। डिगमा इस परियोजना की प्रायोजक थी। --

अम्बर इस बीच जब मत्स्यकन्या से मिला तो उसने बताया कि वह उसके आपरेशन की तैयारी कर चुका है वह अपना निर्णय बताये। मत्स्यकन्या ने उसे आश्वस्त किया कि वह मनुष्य ही बनना चाहती है उसे इसके लिए किसी से पूछना नहीं है वरना वह मत्स्यकन्याओं की ऐसी दुनिया में कैद कर दी जायेगी जहां से उसका निकलना मुमकिन नहीं होगा। उसे अपने इस कदम का कोई पछतावा नहीं होगा। वह मनुष्य बनना चाहती है और वह अम्बर के साथ अपनी पूरी ज़िन्दगी गुज़ारना चाहती है। वह अम्बर से प्यार करती है। यह प्यार शब्द ही था जिसका इस्तेमाल अब तक अम्बर ने मत्स्यकन्या से नहीं किया था। हालांकि उसका दिल इन दिनों केवल मत्स्यकन्या के लिए ही धड़कता था।

फिर वही हुआ जो तय था। डॉक्टर वेल्स के निर्देशानुसार मत्स्यकन्या को तत्काल समुद्र जल से निकाल कर तमाम चिकित्सा सुविधाओं से लैस एक विशेष विमान से ब्राजील के एक विश्वप्रसिद्ध हास्पिटल व चिकित्सा शोधकेन्द्र में ले जाया गया। जहां उसे मत्स्यकन्या से कन्या बनाने का चिकित्सकीय उपक्रम शुरू हुआ। स्टेम सेल के जरिए यह कमाल होना था जिसकी माइक्रो सर्जरी डॉक्टर वेल्स करने वाले थे। मस्त्यकन्या का यह आपरेशन स्टेम सेल के प्रयोग के विरोध करने वालों के लिए एक चुनौती थी। दुनियाभर में क्वीन के चर्चे विश्व भर की मीडिया की सुर्खियां बने। जल से निकालने के तत्काल बाद अडिगा के फोटोग्राफ़र द्वारा ली गयी तस्वीरें दुनिया भर की मीडिया को जारी की गयी थीं। ---

मत्स्यकन्या की स्वास्थ्य सम्बंधी बुलेटिन सुबह शाम रोज डॉक्टरों द्वारा जारी होते रही। आपरेशन को कामयाब बताया गया। धीरे-धीरे उसके स्वास्थ्य में बेहतरी की खबरें भी आने लगीं। दुनिया भर की निगाह मत्स्यकन्या पर काफी दिनों तक बनी रही लेकिन अम्बर था कि बेतरह परेशान था। उसे मत्स्यकन्या से मिलने नहीं दिया जा रहा था। डॉक्टर का कहना था कि उससे मिलने से मत्स्यकन्या को इंफेक्शन होने का खतरा है, जो डॉक्टर किसी भी तरह नहीं उठाना चाहते। मत्स्यकन्या को इंसान बनने में सात-आठ महीने का वक्त लगेगा। उसका तैराकी का अभ्यास छूट गया था और भारत सरकार की ओर से लगातार पर उस पर दबाव बन रहा था कि वह वापस लौट आये। स्टेम सेल के विरोध में कई देशों में प्रदर्शन जारी था। स्वयं भारत नहीं चाहता था कि इस विवाद में भारत मोहरा बने। अम्बर का इस तरह से मत्स्यकन्या के लिए रिसर्च केन्द्र पर बने रहना मामले को और तूल देने जैसा था। भारत भले स्टेम सेल का विरोधी नहीं था लेकिन वह इसके समर्थन की अगुवाई भी नहीं चाहता था। इधर, अमरीका में राष्ट्रपति का चुनाव पहली बार लड़ रहे प्रत्याशी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में स्टेम सेल का मसला टॉप-5 में रखा था, और दुनिया की निगाह स्टेमसेल मामले पर --