रांगेय राघव / परिचय

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 रांगेय राघव की रचनाएँ     

आधुनिक हिन्दी साहित्य के गद्यकारो में रांगेय राघव एक सशक्त हस्ताक्षर है । इनका जन्म राजस्थान के बरोली में १७ जनवरी १९२३ को हुआ था। इनका परिवार तमिल भाषी था। इनके पिता का नाम रंगाचार्य था, जो कि तमिल,संस्कृत और काव्यशास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान थे। रांगेय राघव जी का वास्तविक नाम तिरुमल्ले नाम्ब्कम वीर राघवचार्य था।

इन्होने आगरा के सेंट जोन कॉलेज से दर्शन और अर्थ शास्त्र के साथ बी.ए.की परीक्षा पास की । सन १९४३ में राघव जी ने हिन्दी में एम्.ए.किया । १९४८ में "गोरखनाथ और उनका युग" विषय पर पी.एच.डी.की डिग्री प्राप्त की।

हिन्दी में उच्च अध्ययन प्राप्त करने के बाद भी इन्होने अध्यापन का पेशा स्वीकार नही किया। बल्कि स्वत्रंत लेखन को ही अपना जीवन लक्ष्य बनाया । सन १९५६ में इनका सुलोचना के साथ विवाह हुआ। सन १९६० में ये जयपुर आ गए। लेकिन दो बर्षो के भीतर ही रक्त कैंसर से पीड़ित होने के कारण बम्बई में १२ सितम्बर १९६२ को इनका अकाल देहांत हो गया।

रांगेय राघव सिर्फ़ साहित्यकार ही नही , बल्कि एक दार्शनिक और शोधकर्ता भी थे। उनके विचार मात्र किसी वाद से बंधे न होकर मानवीय संवेदना से सीधे संपर्क बनाते थे । साथ ही साथ वे हर तरह जड़वादिता और रूढीवाद के विरुद्ध संघर्ष करते रहे । राघव जी ने अल्पायु में भी विपुल साहित्य रचना की । उनके उपन्यास और कहानी संग्रह हिन्दी साहित्य की अमूल निधि है।

रचना कर्म :

कहानी संग्रह : देवदासी , समुद्र के फेन , जीवन के दाने, इंसान पैदा हुआ, पॉँच गधे, अधूरी मूरत ।

उपन्यास : मुर्दों का टीला, हुजुर ,रत्ना की बात , राई और पर्वत ,भारती का सपूत , लोई का ताना , कब तक पुकारू , धरती मेरा घर , छोटी सी बात , कल्पना दायरे , आखिरी आवाज ।

नाटक : स्वर्ग का यात्री , रामानुज और विरुदक ।

आलोचना : संगम और संघर्ष , भारतीय परम्परा और इतिहास ,काव्य कला और शास्त्र , आधुनिक हिन्दी कविता में प्रेम और श्रृंगार , गोरखनाथ और उनका युग।